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त्याग, तपस्या, मेहनत संग
दिया संस्कार का है नारा
मेरे तो मन मंदिर में
बस तेरा ही जयकारा।
रचना स्वयं सुशोभित है सर
आनंदम्… वोट किया 27

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13 Nov 2018 11:32 AM

आदरणीय अमित जी सादर प्रणाम हम अभिभूत हैं आपकी सहृदयता का। विश्वास है प्रतियोगिता से हटकर भी आपका सहयोग एवं मार्गदर्शन हमें निरंतर मिलता रहेगा। बहुत आभार।आपने, हम भी लिखना सीखना चाहते हैं। मार्गदर्शन की अपेक्षा आशीर्वाद और शुभकामनाओं का सदैव आकांक्षाी। प्रार्थना में याद रखने का सादर निवेदन

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