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Comments on अब कोई भी इंसाफ़ की जंजीर नहीं है
In reply to
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Anis Shah
Author
19 Mar 2022 09:40 PM
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जी शुक्रिया आपका
ऐसा करने से ग़ज़ल की बह्र (छंद) बिगड़ जायेगा सर
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जी शुक्रिया आपका
ऐसा करने से ग़ज़ल की बह्र (छंद) बिगड़ जायेगा सर