ग़ज़ल // काश होता मज़ा कहानी में /
दिल मिरा बुझ गया जवानी में /
उन की उल्फ़त में ये मिला हम को /
ज़ख़्म पाए हैं बस निशानी में /
आओ दिखलाएँ एक अनहोनी /
आग लगती है कैसे पानी में /
तुम रहे पाक-साफ़ दिल हर दम /
मैं रहा सिर्फ़ बद-गुमानी में /
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ग़ज़ल // काश होता मज़ा कहानी में /
दिल मिरा बुझ गया जवानी में /
उन की उल्फ़त में ये मिला हम को /
ज़ख़्म पाए हैं बस निशानी में /
आओ दिखलाएँ एक अनहोनी /
आग लगती है कैसे पानी में /
तुम रहे पाक-साफ़ दिल हर दम /
मैं रहा सिर्फ़ बद-गुमानी में /