ग़ज़ल // बड़ी तकलीफ़ देते हैं ये रिश्ते /
यही उपहार देते रोज़ अपने /
ज़मीं से आसमाँ तक फैल जाएँ /
धनक में ख़्वाहिशों के रंग बिखरे /
नहीं टूटे कभी जो मुश्किलों से /
बहुत ख़ुद्दार हम ने लोग देखे /
ये कड़वा सच है यारों मुफ़्लिसी का /
यहाँ हर आँख में हैं टूटे सपने /
कहाँ ले जाएगा मुझ को ज़माना /
बड़ी उलझन है कोई हल तो निकले /
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ग़ज़ल // बड़ी तकलीफ़ देते हैं ये रिश्ते /
यही उपहार देते रोज़ अपने /
ज़मीं से आसमाँ तक फैल जाएँ /
धनक में ख़्वाहिशों के रंग बिखरे /
नहीं टूटे कभी जो मुश्किलों से /
बहुत ख़ुद्दार हम ने लोग देखे /
ये कड़वा सच है यारों मुफ़्लिसी का /
यहाँ हर आँख में हैं टूटे सपने /
कहाँ ले जाएगा मुझ को ज़माना /
बड़ी उलझन है कोई हल तो निकले /