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जरा सी आहट होती है, तो दिल सोचता है , कहीं ये वो तो नहीं , कहीं ये वो तो नहीं , छुप के सीने में कोई जैसे सदा देता है , शाम से पहले दीया दिल का जला देता है , है उसी की ये सदा, है
है उसी की ये अदा , कहीं ये वो तो नहीं , कहीं ये वो तो नहीं , श़क्ल फिरती है निग़ाहों में वही प्यारी सी , मेरी नस नस में मचलने लगी चिंगारी सी , छू गई जिस्म़ मेरा किसके दामन की हवा ? कहीं ये वो तो नहीं, कहीं ये वो तो नहीं , श़ुक्रिया !

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धन्यवाद जी

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