ओमप्रकाश भारती *ओम्*
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13 Jun 2022 12:16 AM
धन्यवाद जी
प्रकृति करवट बदल रही है,
नियति मंतव्य बदल रही है,
पाप पुण्य पर हावी है,
मानवता सिसक रही, चहुं ओर लाचारी है ,
कलयुग अवसान प्रारंभित है ,
मृत्यु का सत्य जीवन के यथार्थ पर भारी है,
धन्यवाद !