वीर कुमार जैन 'अकेला'
Author
15 Jan 2022 03:26 PM
उत्तम रचना
उत्तम सृजन,
क्रमशः पंक्तियां प्रेषित है…
रोम रोम थिरक कर जाग उठा ,
ऐसा पहले तो कभी नही हुआ था।
गर्म सांसों में घुली सांसे ऐसी,
जैसे मेरा चेहरा चूमता धुआं था।