Komal Swami
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4 Jan 2022 05:20 AM
Thanku sir
Thanku sir
दहकती आग की ज्वाला हू मैं
बहते पानी की धारा हूं मैं
तपती धूप की रोशनी हूं मैं
गहरे पेड़ की छाया हूं मैं
कोमल जी कोमल मन के भाव बहुत ही सुन्दर सारगर्भित परिपेक्ष्य में आपने उल्लेखित किए
आपका स्वागत है – ऐसी लेखनी को प्रणाम =
एक अबोध बालक