अरविन्द व्यास
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2 Jan 2022 05:02 PM
धन्यवाद …. गँवार जो लिखे वह भी साहित्य होता है , उसमे कुछ नया पन व जगमगाहट होनी चाहिए l अब के पढने वालों में ही जगमगाहट न रही l तो साहित्य बदल जाता है l
आज के दौर में लिखने की तो होड़ है.
लिखने वाले कैसा कैसा लिख रहे,
लगता है जैसे __
साहित्य को रहे तोड़_ मोड़ है।।
??