Taj Mohammad
Author
6 Dec 2021 10:13 PM
बहुत खूब
बहुत खूब
जिसको समझा था ख़ुदा ख़ाक का पैक़र निकला,
हाथ आया जो य़कीं, वह् ‘म सरासर निकला,
इक सफ़र दश्त़े- ख़राबों से सराबों तक है ,
आंख खोली तो जहां , ख़्वाब का मंज़र निकला ,
श़ुक्रिया !