Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

क्यूँ रूठी है तकदीर हमारी,
बता दे हुई क्या खता हमारी ?
लाख कोशिश की पर मानती नहीं ,
परिशाँ हैं क्यूँ हम ये पहचानती नही ?
श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
Loading...