Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

ज़माने का दस्तूर है ,जीते जी इंसाँ की कीमत पहचान ना पाए ,
उसके जाने के बाद , उसकी यादों पर कसीदे पढ़े आंसू बहाए ,
सच ही कहा है , किसी को खोने के बाद उसकी अहमियत समझ आती है ,
इंसां की हक़ीक़त नज़रअंदाज़ करने की अना नश्तर बनकर उसे जिंदगी भर सालती है ,
श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

धन्यवाद जी सत्य वचन

Loading...