ग़र अपने नफरत की आग से मेरी हस्ती जलाकर राख भी कर दो, उस खाक में एक चिंगारी छुपी सुलगती रहेगी , वक्त की करवट से शोला बन उभरेगी और ज़ुल्मो सितम को नेस्त़नाबूद कर देगी , श़ुक्रिया !
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ग़र अपने नफरत की आग से मेरी हस्ती जलाकर राख भी कर दो, उस खाक में एक चिंगारी छुपी सुलगती रहेगी , वक्त की करवट से शोला बन उभरेगी और ज़ुल्मो सितम को नेस्त़नाबूद कर देगी ,
श़ुक्रिया !