एक पिता अपने पुत्र का बुरा कभी नहीं चाहते !
अगर कभी दंडित करते भी हैं तो भले के लिए ही !! उस दंड से सबक सीखकर कोई नासमझ पुत्र दुनिया की बारीकियां समझ सकता है, जीवन सफर में उत्थान कर सकता है। कुछ मेधावी लोग खुद-ब-खुद या थोड़े से मार्गदर्शन पर ही जीवन रुपी समंदर की गहराइयों को समझ लेते हैं और कुछ मंद बुद्धि व्यक्ति बिना कुछ गहरी चोट खाए सही रास्ता नहीं चुन पाते ! ऐसे मंद बुद्धि वाले व्यक्ति के मामले में पिता या गुरु का मार्गदर्शन या उनके द्वारा दिया गया कोई सबक एक सफल जीवन के लिए अति महत्त्वपूर्ण हो जाता है। आपकी “विजय यात्रा” जीवन समर में विजय प्राप्त करने की दिशा में बहुत ही अच्छा संदेश प्रेषित कर रही है। कथा सार अति सुंदर, प्रेरक ! लेखनी भी अति सुंदर !! ??
एक पिता अपने पुत्र का बुरा कभी नहीं चाहते !
अगर कभी दंडित करते भी हैं तो भले के लिए ही !! उस दंड से सबक सीखकर कोई नासमझ पुत्र दुनिया की बारीकियां समझ सकता है, जीवन सफर में उत्थान कर सकता है। कुछ मेधावी लोग खुद-ब-खुद या थोड़े से मार्गदर्शन पर ही जीवन रुपी समंदर की गहराइयों को समझ लेते हैं और कुछ मंद बुद्धि व्यक्ति बिना कुछ गहरी चोट खाए सही रास्ता नहीं चुन पाते ! ऐसे मंद बुद्धि वाले व्यक्ति के मामले में पिता या गुरु का मार्गदर्शन या उनके द्वारा दिया गया कोई सबक एक सफल जीवन के लिए अति महत्त्वपूर्ण हो जाता है। आपकी “विजय यात्रा” जीवन समर में विजय प्राप्त करने की दिशा में बहुत ही अच्छा संदेश प्रेषित कर रही है। कथा सार अति सुंदर, प्रेरक ! लेखनी भी अति सुंदर !! ??