जी ! मनुष्य की यही प्रकृति है , ऐसे माहौल में ही उसे क्षणिक वैराग्य उत्पन होता है और अगले। ही पल फिर सब भूल जाता है और अपने सांसारिक क्रिया कलापों में खो जाता है । धन्यवाद जी
जी ! मनुष्य की यही प्रकृति है ,
ऐसे माहौल में ही उसे क्षणिक वैराग्य उत्पन होता है और अगले। ही पल फिर सब भूल जाता है और अपने सांसारिक क्रिया कलापों में खो जाता है ।
धन्यवाद जी