ओनिका सेतिया 'अनु '
Author
21 Nov 2021 07:05 PM
धन्यवाद जी
राधामय बनी ढूंढू कान्हा, काया वही जो छोड गये,
जीना भी तुम मरना भी तुम, हो कहां क्यो चले गये?
अंतराल के बाद मर्मस्पर्शी रचना liked