DEVSHREE PAREEK 'ARPITA'
Author
2 Nov 2021 09:11 AM
?❤️?
अब तक बदग़ुमा था अपनी असलियत से ,
सराब -ए – आप में खोया था परे हक़ीक़त से ,
सहर उम्मीद की लगता था जमाने के लिए ,
अजाब -ए-शाम -ए-तमन्ना था फ़क्त फ़साने के लिए ,
श़ुक्रिया !