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वाह, क्या मार्मिक चित्रण किया आपने, स्वागत योग्य।। आप इस रचना को प्रतियोगिता हेतु क्यो नही प्रस्तुत करते।।

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सादर अभिवादन सर,
आपकी टिप्पणी के लिए सहृदय नमन।
प्रतियोगिता के योग्य नहीं हूँ सर अभी???

माफ कीजियेगा, पर आपकी कविता तो योग्य है फिर इसे जनमानस तक पहुचने से रोक कर इसके साथ अन्याय करने को क्यों आतुर है।

इंटरनेट पर कई जगह उपलब्ध है सर। सिर्फ़ मंचों और प्रतियोगिताओं से दूर रहता हूँ। इसका कारण शायद वैयक्तिक स्वभाव भी हो सकता है।
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आप को पढ़कर खुशी हुई, कि सेवारत एक योद्धा, कलम का भी सिपाही है। नमन है आपकी महत्ता को ???

आभार मान्यवर, कभी किस्मत हुई तो आपको सुनना भी चाहूंगा।।

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