Smriti Singh
Author
27 Oct 2021 07:54 PM
Ji jarur
Ji jarur
स्मृति जी, मौजूदा परिवेश मे महिलाओं की सोंच एवं उनके प्रति पुरूषों का नजरिया बदल चुका है। कृपया हो सके तो मेरी कविता ‘यारों की वार्ता’ पढिए।