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किसी कवि को तो किसी मौके की तलाश रहती है। कोई ग़म नहीं था पर आज दुर्गापूजा के अवसर पर खुशियाॅं तो हैं ! जिसका ज़िक्र भी इसमें है ! तो बस माता रानी का ध्यान कर लिख डाला ! वातावरण में इस पावन अवसर पर खुशियों की प्रवाह लाज़मी है ! समीक्षा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद । जय माता दी। ?

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