Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings

एक सराब है ये ज़िंदगी, चाहत की प्यास लगाती है ,
एक फरेब है ये ज़िंदगी, प्यास बुझाने के नाम ज़हर पिलाती है ,
ज़िंदा रहना है तो हर हाल में इसे पीना होगा ,
वक्त के गुलाम बनकर मर- मर कर जीना होगा,
श़ुक्रिया !

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
9 Sep 2021 02:14 PM

बहुत खूब

Loading...