श्रीमान कुछ दिन पहले की घटना है, बेशक आपने पढ़ी होगी
इस आधुनिक समाज में भी हर वक्त; हमें हमारे लिवास से आंका जाता है। राजस्थान की एक घटना है, जहां पत्नी के सिर पर घूँघट ना होने की वजह से; पति ने अपने बच्चे को गोद में लिया और उसे जमीन पटक दिया और बच्चे की मृत्यु हो गई? अब बताइए क्या घुंघट बच्चे की जान से ज्यादा कीमती थी? उसका पति बस यह चाहता था कि उसकी पत्नी को एक ऐसा सबक मिले कि वह दोबारा घूँघट किए बिना बाहर ना निकले ! क्या यह घूँघट जबरदस्ती का थोपा हुआ बंधन नहीं है? क्या वह पत्नी अब दुबारा घूंघट रख पाएगी? मेरी यह कविता इस प्रश्न का जवाब देते हुए लिखी गई है; उम्मीद करती हूं कि आप सभी सहमत होंगे!
श्रीमान कुछ दिन पहले की घटना है, बेशक आपने पढ़ी होगी
इस आधुनिक समाज में भी हर वक्त; हमें हमारे लिवास से आंका जाता है। राजस्थान की एक घटना है, जहां पत्नी के सिर पर घूँघट ना होने की वजह से; पति ने अपने बच्चे को गोद में लिया और उसे जमीन पटक दिया और बच्चे की मृत्यु हो गई? अब बताइए क्या घुंघट बच्चे की जान से ज्यादा कीमती थी? उसका पति बस यह चाहता था कि उसकी पत्नी को एक ऐसा सबक मिले कि वह दोबारा घूँघट किए बिना बाहर ना निकले ! क्या यह घूँघट जबरदस्ती का थोपा हुआ बंधन नहीं है? क्या वह पत्नी अब दुबारा घूंघट रख पाएगी? मेरी यह कविता इस प्रश्न का जवाब देते हुए लिखी गई है; उम्मीद करती हूं कि आप सभी सहमत होंगे!