ऐसी ज़िद तो कभी कभार ही पूरी होती है।
जिसमें छुपी हर पक्ष की मजबूरी होती है।।
पर ज़िंदगी में ऐसी कशमकश तो चलती रहती है। और उसी के बीचों-बीच कोई रास्ता भी निकलती रहती है। पर ऐसी हठ सदैव अच्छी नहीं होती है। सही कर्म से ही प्राप्त फल सदैव मीठी होती है।।
ऐसी ज़िद तो कभी कभार ही पूरी होती है।
जिसमें छुपी हर पक्ष की मजबूरी होती है।।
पर ज़िंदगी में ऐसी कशमकश तो चलती रहती है। और उसी के बीचों-बीच कोई रास्ता भी निकलती रहती है। पर ऐसी हठ सदैव अच्छी नहीं होती है। सही कर्म से ही प्राप्त फल सदैव मीठी होती है।।