महानुभव ,आपने अखबारों में अवश्य पढा होगा ,टीवी पर भी देखा होगा जब बड़े बड़े बाबा लोग मंच पर बैठकर धर्म के नाम पर अच्छा अच्छा भाषण देते हैं ,अच्छी-अच्छी दलीलें रखते हैं लोग किस प्रकार कुछ भूल कर, पूरी तरह से भ्रम में पड़कर खुद को समर्पित कर देते है फिर क्या होता है ,उनके साथ? रातों-रात गायब लड़कियां गायब किसी की लाशें जमीन के अंदर मिलती हैं ।बहुत कुछ होता है मैं जानती हूं ,आप भी सब जानते हैं, तो कौन है इसके पीछे? वह मैं मानती हूं कि पूजा ,अर्चना करनी चाहिए भगवान का अस्तित्व है लेकिन भगवान एक सोच है , जो मां घर में बच्चे को पालती है ,घर में अपने पति के लिए खाना बनाती है वह पूजा नहीं है ?धर्म नहीं है? वही पूजा पाठ के नाम पर वह मंदिर में घंटी बजाते रहे और उसका बच्चा पालने पर होता रहे उसका पति भूखे जाए ऑफिस क्या यह धर्म है ?क्या यह भक्ति है? क्या हम ध
इस प्रकार की भक्ति को हम बढ़ावा देंगे? श्रीमान, सोचने का विषय है कर्म ही धर्म है।
महानुभव ,आपने अखबारों में अवश्य पढा होगा ,टीवी पर भी देखा होगा जब बड़े बड़े बाबा लोग मंच पर बैठकर धर्म के नाम पर अच्छा अच्छा भाषण देते हैं ,अच्छी-अच्छी दलीलें रखते हैं लोग किस प्रकार कुछ भूल कर, पूरी तरह से भ्रम में पड़कर खुद को समर्पित कर देते है फिर क्या होता है ,उनके साथ? रातों-रात गायब लड़कियां गायब किसी की लाशें जमीन के अंदर मिलती हैं ।बहुत कुछ होता है मैं जानती हूं ,आप भी सब जानते हैं, तो कौन है इसके पीछे? वह मैं मानती हूं कि पूजा ,अर्चना करनी चाहिए भगवान का अस्तित्व है लेकिन भगवान एक सोच है , जो मां घर में बच्चे को पालती है ,घर में अपने पति के लिए खाना बनाती है वह पूजा नहीं है ?धर्म नहीं है? वही पूजा पाठ के नाम पर वह मंदिर में घंटी बजाते रहे और उसका बच्चा पालने पर होता रहे उसका पति भूखे जाए ऑफिस क्या यह धर्म है ?क्या यह भक्ति है? क्या हम ध
इस प्रकार की भक्ति को हम बढ़ावा देंगे? श्रीमान, सोचने का विषय है कर्म ही धर्म है।