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कृष्ण मंदिर तक ही नहीं, सर्वत्र हैं कहना सर्वथा यथोचित होगा ! चूंकि कृष्ण भगवान ने कर्म की प्रधानता पर ही बल दिया था उसी परिप्रेक्ष्य में ऐसा कहना कहीं से भी अतार्किक प्रतीत नहीं होता !!

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