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वर्तमान सामाजिक विसंगति के कटु यथार्थ की संदेश पूर्ण प्रस्तुति।
दरअसल हमारे देश में अनुसूचित जाति ,जनजाति एवं दलितों के उत्थान की भावना को राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए मोहरा बनाकर उनका उपयोग किया जाता है। जिसमें नौकरियों के आरक्षण , शिक्षा सुविधाओं एवं अन्य कल्याणकारी संदेशों का समावेश होता है। वास्तविकता में इन सभी प्रयासों का लाभ इस वर्ग के संपन्न ,रसूखदार एवं राजनैतिक पैठ रखने वाले लोगों को होता है।
जबकि इस वर्ग की गरीब एवं शोषित निम्न वर्ग की जनता इन सभी लाभों से वंचित रहती है , जिसके फलस्वरूप इनकी दशा बद से बदतर हो रही है ।
चुनावों में झूठे वादे चुनावी घोषणा में इस तबके को वरगलाकर वोट बैंक की राजनीति का आधार बनते हैं । इस वर्ग के तथाकथित प्रतिनिधि चुनाव के पश्चात अपनी चुनावी घोषणा का परिपालन नहीं करते हैं। इस प्रकार इस वर्ग की स्थिति में कोई सुधार नहीं होता।

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