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शादी के बाद सारी अपेक्षाएं हम लड़की से ही करते हैं। लड़के तो बस बैठे रहते हैं। घर संभालना हो परिवार संभालना हो सब लड़की को देखना पड़ता है। बदले में वो कुछ नही कहती। बाकी शायद अपने मेरी कविता ढंग से पढ़ी नहीं। उसमें साफ साफ ये भी लिखा है की वो किस तरह घर संभालेगी। रिश्ते निभायेगी। इज्जत देगी। अगर पूरी कविता पढ़ते तो शायद इस तरह का विचार आपके दिमाग में नहीं आते।

शादी दो लोगो का संबंध होता है कुछ आदमी शादी करके औरत की इज्जत करना भूल जाते है। तो बस उसी को मद्दे नज़र रखते हुए उन आदमियों के लिए ये कविता लिखी है।

आगे से निवेदन है की जब पूरी कविता पढ़े तब ही अपना मत दें। और अगर समझ न आए। तो रहने ही दे ?

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