कोई बात नहीं “गौरी जी !” तब तो आप
तारीफ़ के पात्र हैं ! मेरी समीक्षा को अन्यथा नहीं लें, बस निरंतर प्रयास करते रहें, बहुत आगे तक जाएंगी आप ! हाॅं रचना की समालोचना आवश्यक है जो किसी को आगे बढ़ाने के लिए होती है, भूल-चूक से हुई किसी खामियों को दूर कर उससे अनुभव दिलाने के लिए !! यूॅं ही प्रयास निरंतर जारी रखें…. शुभकामना…. ??
कोई बात नहीं “गौरी जी !” तब तो आप
तारीफ़ के पात्र हैं ! मेरी समीक्षा को अन्यथा नहीं लें, बस निरंतर प्रयास करते रहें, बहुत आगे तक जाएंगी आप ! हाॅं रचना की समालोचना आवश्यक है जो किसी को आगे बढ़ाने के लिए होती है, भूल-चूक से हुई किसी खामियों को दूर कर उससे अनुभव दिलाने के लिए !! यूॅं ही प्रयास निरंतर जारी रखें…. शुभकामना…. ??