Ashish Shrivastava
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12 Nov 2018 03:52 PM
वाह! दीपाजी ! भाषा में स्वर.व्यंजन जैसी
गीतों में सुर ताल.सी
वीणा के मधुर सुरों.सी
माँ मुरली की तान.सी। आदरणीय दीपा जी बहुत-बहुत बधाई और धन्यवाद, आपने तो बहुत ही अच्छी कविताएं लिखी हैं हम पढ़ते ही चले गए। काश आपके शिष्य बनकर कुछ सीखने का सौभाग्य मिल पाता। हम अभिभूत हैं आपकी सहृदयता का। आपकी रचना पूरी ही सुंदर एवं पठनीय है हम अभी नये जुड़ें हैं और आपके सहयोग हमारे मन को हर्षित करने वाला है। बहुत आभार! विश्वास है प्रतियोगिता से हटकर भी आपका सहयोग एवं मार्गदर्शन हमें निरंतर मिलता रहेगा। आपकी भावाव्यक्ति को अच्छा प्रोत्साहन मिल रहा है ये देखकर प्रसन्नता हुई। बहुत आभार धन्यवाद,
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