Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
In reply to Ajit Kumar "Karn"
8 Aug 2021 02:26 PM

मैं नहीं मानता कि वो बहुत साफ दिल इंसान था ! अगर ऐसा था तो वो आपको ट्रेन के स्टेशन में रुकने पर खाने के लिए अपने साथ ट्रेन से बाहर उतरने की सलाह नहीं देता ! वो तो सुरक्षित रहीं आप अपनी सतर्कता पर जो आप उसके बहकावे में आकर नीचे नहीं उतरी अन्यथा आपका सारा सामान गायब हो सकता था या कुछ और ही घटना हो सकती थी। वैसे ट्रेन पर कभी किसी का कुछ भी खाना ख़तरनाक साबित हो सकता था ! प्रायः लोग दोस्ती की आड़ में ही खाने-पीने की चीजों में ही कुछ मिलाकर सारा सामान लूट लेते हैं। एक बात और है कि हर सफ़र में उसे दोस्ती करने के लिए फ्री दोस्त मिल कैसे जाता था ! जो उसकी तथाकथित डायरी में दोस्तों की लम्बी फेहरिस्त थी। इसीलिए कुछ कहना मुश्किल है। ट्रेन में किसी अनजान दोस्तों को खाने-पीने की सामान शेयर करने के लिए provoke करना भी अच्छे गुण नहीं कहे जा सकते ! हो सकता है कि उसके मन में कुछ और हो जिसका मौका उसे नहीं मिल पाया हो ! इसीलिए उसे क्लीन चिट देना मुनासिब नहीं। संशय तो अब भी बरक़रार है Godambari ji. बहुत बहुत शुक्रिया ! इसे अन्यथा ना लें ! एक दोस्त की भांति ही विमर्श कर रहा हूॅं !!!

Loading...