जी कुछ चरित्र भुलाए नहीं भूलते वास्तव में मैंने उसे उस वक्त मित्र माना ही नहीं ।मैं तो पीछा छुड़ाना चाहती थी उससे।कभी कभी किसी के व्यवहार को हम गलत समझ लेते हैं। लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ वो साफ दिल था। इसीलिए आज भी याद है।
जी कुछ चरित्र भुलाए नहीं भूलते वास्तव में मैंने उसे उस वक्त मित्र माना ही नहीं ।मैं तो पीछा छुड़ाना चाहती थी उससे।कभी कभी किसी के व्यवहार को हम गलत समझ लेते हैं। लेकिन बाद में मुझे एहसास हुआ वो साफ दिल था। इसीलिए आज भी याद है।