वाह, नपी तुली ख़्वाब ! पर थोड़ा खतरा उठाकर ख़्वाबों को परख लेने में ही भलाई है। सपनों को साकार करने के लिए कुछ-न-कुछ जोखिम तो वहन करने ही होते हैं। नहीं तो ज़िंदगी भर घूट-घूट के मरने ही होते हैं। सपनों को साथ लेकर चलती, ख़्वाबों में जीने की तमन्ना रखती पर रास्ते दुर्गम होने का अहसास कराती बहुत सुंदर शेर “मानसी” जी ! ??
वाह, नपी तुली ख़्वाब ! पर थोड़ा खतरा उठाकर ख़्वाबों को परख लेने में ही भलाई है। सपनों को साकार करने के लिए कुछ-न-कुछ जोखिम तो वहन करने ही होते हैं। नहीं तो ज़िंदगी भर घूट-घूट के मरने ही होते हैं। सपनों को साथ लेकर चलती, ख़्वाबों में जीने की तमन्ना रखती पर रास्ते दुर्गम होने का अहसास कराती बहुत सुंदर शेर “मानसी” जी ! ??