देशका राजा मदद मांगे तो, समझो संकट भारी है।
सारा सरकारी अमला ,कुछ अपनी जिम्मेदारी है।।
रूपविकट धर कोरोना,अब बन आयी महामारी है
हम सबके सहयोग से ही तो, लड़ने की तैयारी है।।
निकलो मास्क लगाकर,घरमें हाथोंको भी धोलेना।
थोड़ी सी लापरवाही में अपनों को मत खो देना ।।
अबभी न समझेतो निश्चितकल अपनीही बारीहै
सोच कलेजा काँप उठे,ये लाइलाज बीमारी है ।।
दिलदहला उसघटना से,जिसमें अपनोंको खोयाहै
जोक बना तुम हंसते हो,वो खूनके आंसू रोया है।।
हाहाकार मची धरती पर,मौत का तांडव जारी है।।
लाश मिलेही न अग्निदाह को,कैसी ये लाचारी है।।
रिश्तेव्यवहार निभानेको,अबना हाथमिलाना तुम।
कोरोना के कीटाणु मत, अपने घर ले आना तुम।।
सीमाओं पर खूब लड़े हम अद्भुत जंग ये जारी है।
अपने अपने बैठ घरों में होगी जीत हमारी है।।
जोखिममें है जान पुलिस सैनिक,चिकित्सकों की हरदम।
बांधकफ़न जब निकलेवो,होतीं परिवारकी आंखेंनम।।
इन बेटों की माताओं का, देश सदा आभारी है।
भक्तों पर संकट आया औ ,बंद सुदर्शन धारी है।।
रहें सुरक्षित वो भी हम भी ,चाहे जितनी दूरी हो ।
अंतिम वक्त में दूरसे देखें,इतनी भी न मजबूरी हो।
हाथ जोड़ सब देशवासियों ,से यह विनय हमारी है
केवल घरपरिवार नहीं हमेंजान सभीकी प्यारी है।।
कोरोना पर गीत
? *संकट भारी है* ?
देशका राजा मदद मांगे तो, समझो संकट भारी है।
सारा सरकारी अमला ,कुछ अपनी जिम्मेदारी है।।
रूपविकट धर कोरोना,अब बन आयी महामारी है
हम सबके सहयोग से ही तो, लड़ने की तैयारी है।।
निकलो मास्क लगाकर,घरमें हाथोंको भी धोलेना।
थोड़ी सी लापरवाही में अपनों को मत खो देना ।।
अबभी न समझेतो निश्चितकल अपनीही बारीहै
सोच कलेजा काँप उठे,ये लाइलाज बीमारी है ।।
दिलदहला उसघटना से,जिसमें अपनोंको खोयाहै
जोक बना तुम हंसते हो,वो खूनके आंसू रोया है।।
हाहाकार मची धरती पर,मौत का तांडव जारी है।।
लाश मिलेही न अग्निदाह को,कैसी ये लाचारी है।।
रिश्तेव्यवहार निभानेको,अबना हाथमिलाना तुम।
कोरोना के कीटाणु मत, अपने घर ले आना तुम।।
सीमाओं पर खूब लड़े हम अद्भुत जंग ये जारी है।
अपने अपने बैठ घरों में होगी जीत हमारी है।।
जोखिममें है जान पुलिस सैनिक,चिकित्सकों की हरदम।
बांधकफ़न जब निकलेवो,होतीं परिवारकी आंखेंनम।।
इन बेटों की माताओं का, देश सदा आभारी है।
भक्तों पर संकट आया औ ,बंद सुदर्शन धारी है।।
रहें सुरक्षित वो भी हम भी ,चाहे जितनी दूरी हो ।
अंतिम वक्त में दूरसे देखें,इतनी भी न मजबूरी हो।
हाथ जोड़ सब देशवासियों ,से यह विनय हमारी है
केवल घरपरिवार नहीं हमेंजान सभीकी प्यारी है।।
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
साईंखेड़ा