इस मश़्के के तग़ाफ़ुल की क़सम ये तो बता दे ,
ताउम्र मै बे़ताब ही बे़ताब रहूं क्या ?
मख़्लूक भी हस्ती मेरी ख़ालिक़ भी मेरी जात ,
इस पर भी तुझे इल्म़ नहीं है कि मैं हूं क्या ?
सब तेरी मोहब्ब़त की इनाय़त है वरना
मैं क्या मेरा दिल क्या मेरे अंदाज़े- जुनूं क्या ?
माना बहुत तल्ख़ हैं अंजामे तमन्ना
यह गम तेरे खातिर भी गवारा न करूं क्या ?
इस मश़्के के तग़ाफ़ुल की क़सम ये तो बता दे ,
ताउम्र मै बे़ताब ही बे़ताब रहूं क्या ?
मख़्लूक भी हस्ती मेरी ख़ालिक़ भी मेरी जात ,
इस पर भी तुझे इल्म़ नहीं है कि मैं हूं क्या ?
सब तेरी मोहब्ब़त की इनाय़त है वरना
मैं क्या मेरा दिल क्या मेरे अंदाज़े- जुनूं क्या ?
माना बहुत तल्ख़ हैं अंजामे तमन्ना
यह गम तेरे खातिर भी गवारा न करूं क्या ?
श़ुक्रिया !