ओनिका सेतिया 'अनु '
Author
28 Jun 2021 06:59 AM
धन्यवाद जी
दर्द बढ़कर फ़ुग़ाँ न हो जाये ,
ये जमीं आसमाँ न हो जाये,
दिल में डूबा हुआ जो नश्तर है ,
मेरे दिल की जुबाँ न हो जाये ,
दिल को ले लीजिये जो लेना है,
फिर ये सौदा गराँ न हो जाये ,
आह कीजे मगर लतीफ़-तरीन ,
लब तक आकर धुआँ न हो जाये ,
श़ुक्रिया !