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27 Jun 2021 08:41 PM

वाहह… ना हो कभी भूत की पत्नी से मुलाक़ात ।
नहीं तो उड़ जाएंगे मेरे होश और सारे जज़्बात ।
पता नहीं कब होंगे दिन और कब होगी कोई रात ।
अच्छा तो तब होगा जब न आए ऐसे ख़्याल वाहियात।
रात के वक्त देख लेना कि कहीं है तो नहीं आसपास ।
गर ऐसा हो कभी तो घसक जाना वहाॅं से चुपचाप ।।
वैसे इस रचना का सृजन हुआ है सुंदर और लाज़वाब ।
सच्चाई बयां कर रही है ये, अति सुंदर हैं ये अल्फ़ाज।।

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बहुत धन्यवाद

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