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प्रेम का अथाह सागर
लगाती हूँ जिसमे डुबकियाँ
गर हो कभी कोई गलती
देती है मीठी -सी झिड़की
छुपा लेती पल्लू में
आती जब कोई मुझपर आंच ।
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बेहतरीन रचना मैम… आपको साहित्यपीडिया पर देख कर खुशी हुई
वोट भी किया…29 सादर???

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