एक दार्शिनिक दिमाग ही “पावस-पावनि” जैसी रचना कर सकता है। नमन
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?हार्दिक आभार, सिध्दांत जी।
एक दार्शिनिक दिमाग ही “पावस-पावनि” जैसी रचना कर सकता है। नमन