धन्यवाद मोहोदय
“दोनों की आंखें चार हुई पर शर्म से आंखे शर्मशार हो गई।” ये पंक्ति मेरे मन में समा गई। बहुत उम्दा लिखा है आपने, प्रणाम ?
धन्यवाद मोहोदय
“दोनों की आंखें चार हुई पर शर्म से आंखे शर्मशार हो गई।”
ये पंक्ति मेरे मन में समा गई।
बहुत उम्दा लिखा है आपने, प्रणाम ?