Sidhant Sharma
Author
14 Jun 2021 09:34 AM
धन्यवाद मोहोदय
“दोनों की आंखें चार हुई पर शर्म से आंखे शर्मशार हो गई।”
ये पंक्ति मेरे मन में समा गई।
बहुत उम्दा लिखा है आपने, प्रणाम ?
सुंदर रचना।कृपया मेरी रचनाओं का भी अवलोकन करे।