सकारात्मकता पर आपकी दृष्टि स्पस्ट है,यह आपकी टिप्पणी से परिलक्षित हो गई है,मैने इसे उन लोगों की ओर से व्यक्त करने की कोशिश की है जो सफल असफल होने के बाद भी उस प्रक्रिया से स्वंय को पृथक नही कर लेते,और अपने प्रयास लगातार जारी रखते हैं फिर भी मन के एक कोने में यह आसंका बनी रहती है कि पता नही कामयाबी मिले भी! तब भी अपने कर्म को त्यागता नही है!मैं कहां तक सही हूं,स्वंय नही जानता!सादर अभिवादन सहित।
सकारात्मकता पर आपकी दृष्टि स्पस्ट है,यह आपकी टिप्पणी से परिलक्षित हो गई है,मैने इसे उन लोगों की ओर से व्यक्त करने की कोशिश की है जो सफल असफल होने के बाद भी उस प्रक्रिया से स्वंय को पृथक नही कर लेते,और अपने प्रयास लगातार जारी रखते हैं फिर भी मन के एक कोने में यह आसंका बनी रहती है कि पता नही कामयाबी मिले भी! तब भी अपने कर्म को त्यागता नही है!मैं कहां तक सही हूं,स्वंय नही जानता!सादर अभिवादन सहित।