अरविन्द राजपूत 'कल्प'
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22 Jul 2021 10:26 PM
जी शुक्रिया,
सही कहा आपने
जनाब आपकी ग़ज़ल के मतले में बंदिश है, अतः सिमटती, चलती जैसे काफिये खारिज़ है। हार्दिक शुभकामनाएं