स्वार्थ एवं धन लोलुपता की पराकाष्ठा में मानवीयता इस सीमा तक गिर सकती है ,यह कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा था। यह सब देखकर मन क्षोभ और वितृष्णा से भर जाता है। व्यथित हृदय की भावपूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद !
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स्वार्थ एवं धन लोलुपता की पराकाष्ठा में मानवीयता इस सीमा तक गिर सकती है ,यह कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा था।
यह सब देखकर मन क्षोभ और वितृष्णा से भर जाता है।
व्यथित हृदय की भावपूर्ण प्रस्तुति !
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