मनुष्य की पिपासा तृप्त नहीं हो सकती उसे पाने के लिए वह अनाप-शनाप हर कदम आगे बढ़ाने पर आमादा है! सादर अभिवादन रजक साहेब।
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मनुष्य की पिपासा तृप्त नहीं हो सकती उसे पाने के लिए वह अनाप-शनाप हर कदम आगे बढ़ाने पर आमादा है! सादर अभिवादन रजक साहेब।