Phoolchandra Rajak
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7 May 2021 10:22 PM
मुझे से ज्यादा आपने समझा सर नमस्कार जी बहूत आभार आपका जी
हमारा देश पंच परमेश्वर की परम्पराओं का देश रहा है, यहां पर न्याय के लिए वर्षों नहीं भटकना पड़ता था, लेकिन जब से पंच परमेश्वर की परम्पराओं से विमुख हुए और कानून के दलालों के चंगुल में फंसे तब से यह एक कमाऊ उद्योग में परिवर्तित हो कर रह गया है!न्याय को जितना लम्बा खींचा जाएगा उतनी आमदनी के आयाम खुलते जाएंगे, और इसी पैटर्न पर यह चल रही है! ऐसा मेरा मानना है! सादर अभिवादन रजक साहेब।