मेरे उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद सर ।
किन्तु आपके कथन “बडी हिम्मत दिखा रहे हैं आपकी हिम्मत को सलाम! ” से ही सर्वविदित हो रहा है कि आम आदमी कितना डरा हुआ है, विचारक कितने डरे हुए है कि वो उसी डर से अपने विचारों को स्प्ष्ट रूप ने नही कह पा रहे हैं ।
अब आप ही बताओ कि लोकतंत्र कहाँ रहा, जिसमे आम आदमी खुल कर बोल भी नही सकता।
नफरत को कोई सीमा नही होती, जब शत्रु एक होता है तब सब मिलकर उससे नफरत करते है और जब उस पर विजय प्राप्त कर लेते है तो फिर आपस मे एक दूसरे से नफरत करते है । इसलिए नफरत चाहे धार्मिक हो जातिगत हो या फिर आर्थिक सब विनाश ही करती है ,और अनंत विनाश।
मेरे उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद सर ।
किन्तु आपके कथन “बडी हिम्मत दिखा रहे हैं आपकी हिम्मत को सलाम! ” से ही सर्वविदित हो रहा है कि आम आदमी कितना डरा हुआ है, विचारक कितने डरे हुए है कि वो उसी डर से अपने विचारों को स्प्ष्ट रूप ने नही कह पा रहे हैं ।
अब आप ही बताओ कि लोकतंत्र कहाँ रहा, जिसमे आम आदमी खुल कर बोल भी नही सकता।
नफरत को कोई सीमा नही होती, जब शत्रु एक होता है तब सब मिलकर उससे नफरत करते है और जब उस पर विजय प्राप्त कर लेते है तो फिर आपस मे एक दूसरे से नफरत करते है । इसलिए नफरत चाहे धार्मिक हो जातिगत हो या फिर आर्थिक सब विनाश ही करती है ,और अनंत विनाश।