Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 May 2021 09:50 PM

श्याम सुंदर जी आपके द्वारा व्यक्त यह अल्फाज़, हमें बार बार झकझोरते हैं कि मैं जिस राह पर हूं वही राह सही भी या नहीं, लेकिन जब मन मस्तिष्क,दिल दिमाग, विवेक का सहारा लेता है तो फिर कदम आगे खुद ब खुद बढ़ने लगते हैं, जहां तक मैं समझा हूं,मेरा यही मत है! सादर अभिवादन

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
6 May 2021 08:32 AM

धन्यवाद !

Loading...