बिग बैंग से लेकर आज तक ,गुरुत्वाकर्षण से लेकर नाभिकीय बल तक, जितना खोजा गया वहीं पर विज्ञान के ज्ञात सूत्र ही मिलते रहे हैं किंतु कोई चमत्कार नही मिला। जो पहले चमत्कार थे वो आज विज्ञान हो गए हैं।
परमशक्ति जरूर है किंतु वह पूजा करने पर ,आरती करने पर,नमाज पढ़ने पर या व्रत रखने पर उसकी अनुभूति नही होगी बल्कि उसकी अनुभूति प्रयोगशालाओं में ही सम्भव है।
जिस प्रकार कोई बड़ी मशीन का पुर्जे एकदूसरे को नियंत्रित करते है उसी प्रकार ज्ञात श्रष्टि भी एक बड़ी मशीन के समान है जिसके कल पुर्जे सूरज,चांद, सितारे और मन्दाकिनी है।
हाँ यह कह सकते है कि श्रष्टि को बनने से पहले क्या था..?
मेरे हिसाब से इसका उत्तर होगा, वही था जो मुर्गी से अंडा या अंडा से मुर्गी बनने से पहले था।
बिग बैंग से लेकर आज तक ,गुरुत्वाकर्षण से लेकर नाभिकीय बल तक, जितना खोजा गया वहीं पर विज्ञान के ज्ञात सूत्र ही मिलते रहे हैं किंतु कोई चमत्कार नही मिला। जो पहले चमत्कार थे वो आज विज्ञान हो गए हैं।
परमशक्ति जरूर है किंतु वह पूजा करने पर ,आरती करने पर,नमाज पढ़ने पर या व्रत रखने पर उसकी अनुभूति नही होगी बल्कि उसकी अनुभूति प्रयोगशालाओं में ही सम्भव है।
जिस प्रकार कोई बड़ी मशीन का पुर्जे एकदूसरे को नियंत्रित करते है उसी प्रकार ज्ञात श्रष्टि भी एक बड़ी मशीन के समान है जिसके कल पुर्जे सूरज,चांद, सितारे और मन्दाकिनी है।
हाँ यह कह सकते है कि श्रष्टि को बनने से पहले क्या था..?
मेरे हिसाब से इसका उत्तर होगा, वही था जो मुर्गी से अंडा या अंडा से मुर्गी बनने से पहले था।
धन्यवाद सर ,आप इसे मेरा विरोध ना समझे ।