Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
In reply to Jaikrishan Uniyal
25 Apr 2021 07:21 AM

मै हर मानव से प्यार करूं,
विनती ईश्वर से करूं,
बहाते रहना प्रेम की गंगा हृदय में,
इसकी गहराइयों में और उतरू।।
आभार आदरणीय प्रणाम।।

Loading...