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24 Apr 2021 09:57 PM

श्रृंगार,प्रेम प्यार, पर आपकी महारत महसूस हो रही है! आपके इस रुप के दर्शन होते रहेंगे ऐसी अपेक्षा है,सादर नमस्कार।

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25 Apr 2021 07:21 AM

मै हर मानव से प्यार करूं,
विनती ईश्वर से करूं,
बहाते रहना प्रेम की गंगा हृदय में,
इसकी गहराइयों में और उतरू।।
आभार आदरणीय प्रणाम।।

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